के जबाब से वो संतुस्ट नहीं थे >
मेरे अनुसार हमें वोट कम से कम पांच कारणों से डालना चाहिये ।
1-कीमती है आपका वोट -एक वोट के लिए सरकार का व्यय करीब ६०० रुपये आता है। (कुल चुनाव खर्च में पंजीकृत मतदाता से भाग देकर)-इस तरह एक परिवार और लोकसभा क्षेत्र पर खर्चा कितना होगा अनुमान लगा सकते हैं। (एक वोट पर खर्च को कुल मतदाताओं से गुणा कर)-चुनावों पर किए गए अब तक केखर्चे को जोडिए, चौंक जाएंगे।(पहले चुनाव केबाद चौथी लोकसभा तक एक वोट पर खर्च कम हुआ, बाद में बढ़ता गया)२-आपका नियती, आपका पैसा, आपके आदमी के हाथ में हो-एक आदमी की ओर से पांच साल में दिया गया लगभग टैक्स और अन्य मदों में सरकार को दिया गया धन कुल खर्च का लगभग १५-२० फीसदी होता है।-एक आदमी की ओर से जीवन काल में दिया गया कुल टैक्स और अन्य मदों में सरकार को दिया गया धन करोड़ों में जाता है।-सही आदमी इस धन से कितनी समस्याओं का निदान कर सकता है। तो क्यों न उस आदमी का चुनाव करें।३-जादू की छड़ी हो सकता है एमपी-एक एमपी (हो सके तो एक एमएलए का भी) को जनसमस्याओं के निदान के लिए मिलने वाले धन का पता कीजिए। ये राशि करोड़ों में है। सोचिए इस धन से कितना काम हो सकता है।-सांसद के आपकी समस्याओं को हल करने को लेकर असीमित अधिकार हैं। सांसद जमीनी स्तर पर जनसमस्याओं के निदान में उनका प्रयोग करे तो जिंदगी ही बदल जाए। क्यों न सांसद का चुनाव में आपका निर्णय भी मायने रखे।४-आपका वोट बदल सकता है किस्मत-पहले चुनाव के बाद प्रत्याशियों की जीत-हार में अंतर कम से कमतर हुआ है। ऐसा न हो कि आप वोट डालने नहीं जाएं और आपका पसंदीदा प्रत्याशी हार जाए। ऐसा कई बार हुआ है। चुनाव आयोग की वेबसाइट पर संबंधित सामग्री देखिए चौंक जाएंगे। -पांच साल में एक बार सरकार को आइना दिखाने का मौका मिलता है, तो क्यों न इसका उपयोग कीजिए।५-देयर इज नो साइड इफेक्ट-वोट डालने के फायदे ही फायदे, कोई नुकसान नहीं।-आयुर्वेद की गोली है वोट, खा लेंगे तो फायदा ही होगा, नुकसान कोई नहीं।-छुट्टïी होती है कोई काम तो करा नहीं सकते, क्यों न वोट डाल आएं।

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