बुधवार, 17 सितंबर 2008
दिलवाली दिल्ली
दिलवालों की दिल्ली, १३ सितम्बर के बम धमाकों के बाद दूसरे और तीसरे दिन मॉल मैं घूमते परिवार की फोटो के साथ अख़बारों की ये सुर्खी कुछ अटपटी लगी !ये दिल्ली का बड़ा दिल नहीं उसकी असम्वेदनसीलता अधिक रही! जाकी फटी न बिबायीं वो का जाने पीर परायी! मॉल में घूमता परिवार इस कहावत को अधिक दिखा रहा था! परिवार में गमी हो और हमारे चेहरे पर मुस्कान, पल-पल कपडे बदलने वाले गृहमंत्री के साथ दिल्लीवालों ने भी शर्मिंदा कर दिया! क्या दिल्लीवालों (हमारा) का यही रुख शिवराज पाटिल, पासवान, mulayam और लालू (सिम्मी की तरफदारी करने वाले neta) को होंसला नहीं देता! सोचो दिलवालो (दिल्लीवालो) ..............
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