शुक्रवार, 23 मई 2014

चाहत है कुछ लिखूं सुबह की मुस्कराहट सा, बिटिया की बोली सा अँधेरे में रास्ता दिखाती चांदनी जैसा कुछ कुछ ऐसा कि माँ की मीठी झिड़की याद आ जाए


कोई टिप्पणी नहीं: