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शुक्रवार, 23 मई 2014

चाहत है कुछ लिखूं सुबह की मुस्कराहट सा, बिटिया की बोली सा अँधेरे में रास्ता दिखाती चांदनी जैसा कुछ कुछ ऐसा कि माँ की मीठी झिड़की याद आ जाए


प्रस्तुतकर्ता updesh tiwari पर 2:38 pm कोई टिप्पणी नहीं:
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